श्रद्धा और भावना से करें पूजन, मिट्टी, टहनी या तुलसी से करें प्रतीकात्मक व्रत
सोमवार को देशभर में सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत रख रही हैं। यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है और इसका महत्व सावित्री-सत्यवान की अमर प्रेम गाथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर वट वृक्ष के नीचे उन्हें पुनर्जीवन दिया था। तभी से सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करती हैं।
लेकिन क्या हो जब घर या आसपास वट वृक्ष न हो?
ऐसी स्थिति में निराश होने की आवश्यकता नहीं है। पूजा की सबसे बड़ी शक्ति श्रद्धा और भावना होती है, स्थान और सामग्री नहीं। ऐसे में घर पर भी इस पावन व्रत को विधिपूर्वक किया जा सकता है।
वट वृक्ष की मिट्टी से करें पूजा:
अगर संभव हो तो व्रत से एक दिन पहले वट वृक्ष की थोड़ी-सी मिट्टी लाकर घर में एक साफ स्थान पर रखें। मिट्टी पर सावित्री, सत्यवान और यमराज की मूर्तियाँ या चित्र रखकर उसी स्थान को पूजा स्थल मानें।
वट की टहनी को गमले में लगाएं:
यदि वट वृक्ष की कोई डाली मिल जाए, तो उसे गमले में लगाकर उसकी पूजा करें। धागा बांधें, परिक्रमा करें और कथा का श्रवण करें।
तुलसी के पास करें पूजन:
यदि वट वृक्ष की मिट्टी या टहनी भी उपलब्ध नहीं हो, तो तुलसी के पौधे के पास श्रद्धा से पूजन करें। तुलसी पूजनीय और पवित्र होती है|

Author: Sweta Sharma
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