उत्तर प्रदेश से दुखद खबर सामने आई है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत जगत के महान कलाकार और बनारस घराने की परंपरा के संरक्षक पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के दौरान उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नम्रता मिश्र ने दी। नम्रता ने फोन पर मीडिया को बताया कि पंडित जी अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन की खबर से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बताया जा रहा है कि उनका पार्थिव शरीर मिर्जापुर से वाराणसी लाया जाएगा। वहीं, उनके अंतिम संस्कार की तैयारी वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर की जा रही है, जहां आज रात उनका अंतिम संस्कार होगा।
पंडित छन्नूलाल मिश्र को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का स्तंभ माना जाता था। वे ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन गायन में पारंगत थे। विशेष रूप से भक्ति संगीत और गंगा-यमुना की संस्कृति को अपनी गायकी में पिरोने के लिए वे प्रसिद्ध रहे। उनकी गायकी में बनारस की मिठास और गहराई झलकती थी।
संगीत साधना में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वे न केवल एक कलाकार बल्कि संगीत के जरिए संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने वाले प्रहरी थे।
पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन से भारतीय संगीत जगत ने अपना एक अमूल्य रत्न खो दिया है। उनके शिष्य और प्रशंसक मानते हैं कि वे अपनी अमर गायकी के कारण हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।
