[the_ad id="4133"]
Home » इंडिया » दिल्ली » नहीं रहे ‘वाह, उस्ताद’, प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन

नहीं रहे ‘वाह, उस्ताद’, प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन

दिल्ली/मुंबई। भारत के प्रसिद्ध तबला वादक, पद्मविभूषण पुरस्कार प्राप्त जाकिर हुसैन का फेफड़े से संबंधी ‘‘इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस’’ बीमारी के कारण अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे।

वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महानायक थे, जिन्होंने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में तबला वादन को नई पहचान दिलाई। उनकी मृत्यु संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था और वे भारतीय तबला वादन के महानतम कलाकारों में शुमार होते थे।

जाकिर हुसैन के पिताजी उस्ताद अख्तर हुसैन खान भी प्रसिद्ध तबला वादक थे और उनका प्रभाव उनके संगीत पर बहुत गहरा था। जाकिर हुसैन ने अपनी शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की और बहुत कम उम्र में तबला बजाना शुरू कर दिया। उनकी विशिष्ट शैली, तकनीकी कौशल और संगीत के प्रति समर्पण ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को पश्चिमी संगीत के साथ मिश्रित करके उसे और भी लोकप्रिय बना दिया।

उनकी कला के क्षेत्र में अपार योगदान के कारण जाकिर हुसैन को कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें पद्मश्री (1988), पद्मभूषण (2002), और पद्मविभूषण (2023) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था, और उन्होंने दुनिया भर में संगीत प्रेमियों के बीच भारतीय संगीत की धारा को फैलाने का कार्य किया। जाकिर हुसैन को अपने करियर में चार ग्रैमी पुरस्कार मिले हैं, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी अवार्ड्स में मिले थे। छह दशक लंबे अपने करियर में संगीतकार जाकिर हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया।

जाकिर हुसैन ने अपने करियर में कई प्रसिद्ध संगीतकारों और कलाकारों के साथ मिलकर काम किया। उनका सहयोग, विशेषकर जॉन मैक्लॉफिन, लारी कॉरियोल, और अन्य विश्व प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ, भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण था। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाने वाले अग्रणी संगीतकार थे।

जाकिर हुसैन की मृत्यु से संगीत जगत में एक शून्य पैदा हुआ है, जिसे भरना आसान नहीं होगा। उनकी तबला वादन की अनमोल धारा, उनके द्वारा छोड़ी गई संगीत की विरासत और उनकी संगीत के प्रति गहरी निष्ठा हमेशा याद रखी जाएगी।

Admin Desk
Author: Admin Desk

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com