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राजधानी की सड़कों पर दौड़ रहा ‘चलता-फिरता खतरा

 नाबालिग चला रहे ई-रिक्शा, पुलिस खामोश

लखनऊ। राजधानी की सड़कों पर रोज़ाना एक अनदेखा खतरा तेजी से पांव पसार रहा है – नाबालिगों द्वारा चलाए जा रहे अनधिकृत ई-रिक्शा। महज़ 12-13 वर्ष के बच्चे, जो खुद यातायात के नियमों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं, कान में मोबाइल लगाए, एक हाथ से ई-रिक्शा का हैंडल थामे, सड़कों पर बेधड़क दौड़ते नज़र आते हैं। न इन वाहनों पर नंबर प्लेट होती है, न ही इन्हें चलाने वालों के पास कोई वैध लाइसेंस। इसके बावजूद ये ‘चलते-फिरते खतरे’ सड़कों पर बिना रोक-टोक के दौड़ रहे हैं। शहर के मटियारी, इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक और इंदिरा नगर जैसे क्षेत्रों में दिन भर ऐसे दर्जनों ई-रिक्शा देखे जा सकते हैं। इन नाबालिग चालकों की वजह से रोज़ छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं हो रही हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस चौकियों पर बैठे सिपाही और अधिकारी अक्सर गप्पों या मोबाइल में व्यस्त दिखाई देते हैं।

परेशानी तब और बढ़ जाती है जब ऐसे ही अनियमित ई-रिक्शा किसी गंभीर हादसे, आपराधिक वारदात या सनसनीखेज घटना में शामिल पाए जाते हैं। और फिर पुलिस वही रटा-रटाया बयान देती है – “सीसीटीवी में रिक्शा तो दिख रहा है, लेकिन नंबर प्लेट नहीं है… पहचान नहीं हो पा रही।” यह लापरवाही केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि जानबूझकर अनदेखी किए जा रहे एक गंभीर सामाजिक संकट की ओर इशारा करती है। आखिर नाबालिगों को वाहन चलाने की इजाज़त कौन दे रहा है? बिना रजिस्ट्रेशन वाले ई-रिक्शा सड़कों पर कैसे दौड़ रहे हैं? इन सवालों का जवाब न तो यातायात विभाग के पास है और न ही स्थानीय पुलिस के पास।

समस्या का समाधान सिर्फ जुर्माना लगाने या ई-रिक्शा ज़ब्त करने से नहीं होगा। ज़रूरत है जमीनी स्तर पर कठोर निगरानी और नियमित जांच अभियान की। स्कूलों और अभिभावकों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाना चाहिए।

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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