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वक्फ बोर्ड कानून: मोदी सरकार क्यों करना चाहती है बदलाव? जानिए पूरा मामला

वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव की चर्चा : मोदी सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन किए जाने की अटकलों के बीच इस मुद्दे पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। वक्फ अधिनियम 1954 में पहली बार पारित किया गया था, लेकिन इसे 1995 में नए अधिनियम से बदल दिया गया। इस अधिनियम ने वक्फ बोर्ड को काफी शक्तियां प्रदान कीं। अब खबरें आ रही हैं कि केंद्र सरकार इस कानून में बड़े बदलाव करने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि इससे जुड़ा बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया : 
वक्फ बोर्ड अधिनियम में संभावित संशोधनों की खबर के बाद विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने सरकार की आलोचना शुरू कर दी है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। उनका आरोप है कि सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को खत्म करना चाहती है और हिंदुत्व एजेंडे के तहत वक्फ संपत्तियों को निशाना बना रही है। ओवैसी का कहना है कि अगर इस कानून में बदलाव किए गए तो वक्फ बोर्ड प्रशासनिक अराजकता का शिकार हो जाएगा और इसकी स्वतंत्रता छिन जाएगी।
संशोधन के प्रस्तावित प्रावधान :
सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित बिल में वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए दावों की अनिवार्य जांच की जाएगी। इसमें वक्फ बोर्ड की शक्तियों और कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव किए जाएंगे। साथ ही, महिलाओं को वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान भी किया जा सकता है। बिल में मौजूदा कानून के कई क्लॉज हटाने का प्रस्ताव है और इसमें 40 से अधिक संशोधन किए जा सकते हैं।
वक्फ बोर्ड क्या है? :
वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है ‘अल्लाह के नाम पर दान की गई संपत्ति’। यह संपत्तियां मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान, मजार, और अन्य धार्मिक संस्थाओं के लिए होती हैं। वक्फ बोर्ड का गठन इसलिए किया गया था ताकि इन संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और इन्हें कोई गलत तरीके से न बेचे। भारत में वक्फ बोर्ड का मुस्लिम समाज की जमीनों पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
भारत में वक्फ संपत्तियों की स्थिति :
भारत में वक्फ बोर्ड के पास लगभग 8,72,292 संपत्तियां हैं, जो 8,00,000 एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं। यूपी में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 1,23,000 संपत्तियां हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड के पास 3,102 संपत्तियां हैं। अगर इस कानून में बदलाव किए जाते हैं, तो इसका सबसे बड़ा असर उत्तर प्रदेश और बिहार में दिखाई दे सकता है।
वक्फ कानून का इतिहास :
1954 में पारित वक्फ अधिनियम के बाद, इसे 1995 में निरस्त कर एक नया अधिनियम लाया गया। इसके बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करता है। वक्फ बोर्ड के कामकाज और फंडिंग का लेखा-जोखा अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा रखा जाता है।
बदलाव की आवश्यकता क्यों ? :
सरकार का कहना है कि कांग्रेस द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के बाद वक्फ बोर्ड को भू-माफिया की तरह काम करने और सरकारी तथा निजी संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने के आरोप लगे हैं। 2009 तक वक्फ बोर्ड की लगभग 52,000 संपत्तियां थीं, जो अब बढ़कर 8,72,292 संपत्तियों तक पहुंच गई हैं। इस बढ़ती संख्या के साथ वक्फ संपत्तियों पर विवाद बढ़े हैं, जिससे सरकार अब इसे सुधारने की योजना बना रही है।
वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन की खबर ने राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में हलचल मचा दी है। एक ओर जहां सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बता रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बिल पर संसद में क्या निर्णय लिया जाता है।

 

आइए जानते है की लोगो की क्या राय है इस वक्फ बोर्ड के नए अधिनियम पर,

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Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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