कानपुर और मुरादाबाद जिलों में गंगा और रामगंगा नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। कानपुर के कई गाँव बाढ़ जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, वहीं मुरादाबाद में गन्ना और धान की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है। किसानों के सामने आर्थिक संकट गहराता जा रहा है और वे सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
बागवानी विभाग के मुरादाबाद संभागीय सांख्यिकी अधिकारी हरजीत सिंह ने जानकारी दी कि फसल बीमा योजना के अंतर्गत जिन किसानों ने बीमा कराया है, उन्हें उसी अनुसार मुआवजा मिलेगा। हालांकि अब तक वास्तविक नुकसान का आकलन नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को हर संभव राहत और मार्गदर्शन देने के लिए कदम उठा रही है।
स्थानीय किसान संजय, जिनके खेतों में धान और गन्ना पूरी तरह नष्ट हो गए, ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “गन्ना था, धान था… बाढ़ में सब कुछ खत्म हो गया। अब जब पानी घटेगा, तो पूरी खेती दोबारा करनी पड़ेगी। करीब 20 हजार रुपये का नुकसान हुआ है और शायद फिर से कर्ज़ लेना पड़ेगा।”
राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार भारी बारिश, बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से स्थिति और गंभीर हो गई है। कई नदियाँ खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। हाल ही में भारी वर्षा के कारण हथिनीकुंड बैराज से 1.78 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा।
बाढ़ की इस आपदा ने न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डाला है। प्रशासन नुकसान का आकलन करने और प्रभावितों को राहत देने की कवायद में जुटा है, लेकिन फिलहाल किसानों की तकलीफें कम होती नहीं दिख रही हैं।
Author: Sweta Sharma
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