लखनऊ के हज़रतगंज थाना क्षेत्र में उस वक्त सनसनी फैल गई जब गोमती नदी में एक महिला का शव उतराता मिला। मृतका की पहचान 35 वर्षीय कविता निषाद के रूप में हुई है, जो लक्ष्मण मेला मैदान के पास अपने दो बच्चों के साथ रहती थीं।
कविता ने बीते दिनों अपने पति महेश निषाद की आत्महत्या के बाद रिटायर्ड जज और उनकी पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा हज़रतगंज कोतवाली में दर्ज कराया था। महेश ने अप्रैल की शुरुआत में फांसी लगाकर आत्महत्या की थी। कविता का आरोप था कि पारिवारिक विवाद में रिटायर्ड जज और उनकी पत्नी की प्रताड़ना के चलते महेश ने जान दी।
2 अप्रैल को दर्ज हुई एफआईआर के बाद से पीड़िता लगातार कार्रवाई की मांग कर रही थी। लेकिन पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने से आहत होकर उसने यह दर्दनाक कदम उठा लिया।
स्थानीय लोगों और पड़ोसियों का कहना है कि कविता पिछले कुछ दिनों से मानसिक रूप से बेहद परेशान थी। पति की मौत और न्याय न मिलने की पीड़ा उसे अंदर ही अंदर तोड़ रही थी।
गुरुवार सुबह गोमती नदी में उसका शव देखा गया। पुलिस ने शव को बाहर निकाला और सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में भिजवाया। इस दौरान परिजन और स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और कार्रवाई की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया।
अब पति-पत्नी दोनों की मौत के बाद उनके दो मासूम बच्चे अनाथ हो गए हैं। पुलिस ने मामले की जांच तेज़ करने का भरोसा दिया है, लेकिन सवाल उठता है — क्या अगर समय रहते कार्रवाई होती, तो यह दर्दनाक अंत रोका जा सकता था?

Author: Sweta Sharma
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