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डायबिटीज क्यों बनता जा रहा है भारत की राजधानी?

क्या आपको पता है कि भारत को ‘डायबिटीज की राजधानी’ कहा जा रहा है? और इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी खानपान की प्राथमिकता। हेल्दी भोजन की जगह जंक फूड और शुगर-लोडेड ड्रिंक्स ने हमारे जीवन में खास जगह बना ली है। अगर यकीन नहीं होता, तो किसी भी मॉल के फूड कोर्ट में शनिवार-रविवार को जाकर देखिए। हर टेबल पर आपको बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज़ और कोल्ड ड्रिंक दिखेंगे। ये हमारे आज के खानपान का ‘स्टेटस सिंबल’ बन चुका है, लेकिन इसकी कीमत हमारी सेहत चुका रही है।

डायबिटीज एक गंभीर समस्या है जिसने भारत को “डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड’ बना दिया है। वैश्विक डायबिटीज के मामलों का एक बड़ा हिस्सा भारत से आता है, और यह सिर्फ स्वास्थ्य संकट नहीं है, बल्कि यह हमारे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और समाज पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। डायबिटीज एक मेटाबॉलिक (चयापचय) बीमारी है, जो शरीर में ग्लूकोज (शुगर) के स्तर को प्रभावित करती है। ग्लूकोज हमारे शरीर का प्रमुख ऊर्जा स्रोत है और जो हम खाते हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा ग्लूकोज में बदलता है। जब शरीर इस ग्लूकोज का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता, तो यह रक्त में जमा हो जाती है, जिससे डायबिटीज जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है।

डायबिटीज के बढ़ते कारण

1 जंक फूड की लोकप्रियता- भारतीय भोजन की जगह प्रोसेस्ड और फास्ट फूड ने ले ली है, जो कैलोरी और शुगर से भरपूर होता है।

2 शारीरिक गतिविधियों की कमी- डिजिटल युग में हमारी दिनचर्या बेहद सुस्त हो गई है। वॉक या एक्सरसाइज करने की बजाय स्क्रीन टाइम बढ़ गया है।

3 पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड- घर का बना खाना छोड़कर लोग पैकेज्ड स्नैक्स और इंस्टेंट मील्स पर निर्भर हो गए हैं।

4 मीठा खाना और ड्रिंक्स- भारतीय मिठाइयों और चीनी वाले पेय पदार्थों का सेवन बहुत ज्यादा होता है, जो ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ाते हैं।

इसका असर हर दूसरा व्यक्ति, खासकर युवा, प्रीडायबिटिक (डायबिटीज के नजदीक) हो रहा है। बच्चों में मोटापा और डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डायबिटीज के कारण दिल की बीमारी, किडनी फेलियर और ब्लाइंडनेस जैसी गंभीर समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

समाधान

  1. घर का बना खाना खाएं -जितना संभव हो, प्रोसेस्ड फूड और बाहर का खाना कम करें।
  2. चीनी और जंक फूड से दूरी – चीनी का सेवन नियंत्रित करें और जंक फूड को हेल्दी विकल्पों से बदलें।
  3. शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं – हर दिन 30-40 मिनट की एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
  4. समझदारी से खाएं – हेल्दी स्नैक्स, जैसे फल, मेवे और सलाद, को प्राथमिकता दें।
  5. शुगर टेस्ट करवाएं – ब्लड शुगर की नियमित जांच कराएं ताकि समय पर समस्या को पहचाना जा सके।

याद रखें, फिटनेस एक विकल्प नहीं, जरूरत है। अगर हमने अपनी आदतें नहीं बदलीं, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

डायबिटीज को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में बाँटा गया है:

टाइप 1 – यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय (Pancreas) की उन कोशिकाओं पर हमला करती है, जो इंसुलिन का निर्माण करती हैं। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में होती है और इसमें इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है।

टाइप 2 – यह सबसे आम प्रकार की डायबिटीज है और इसे “लाइफस्टाइल डायबिटीज” भी कहा जाता है। इसमें शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या इंसुलिन का उपयोग ठीक से नहीं कर पाता। टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर वयस्कों में होती है, लेकिन अब बच्चों और किशोरों में भी देखने को मिल रही है।

3 गर्भकालीन डायबिटीज – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में होने वाली डायबिटीज है। इसमें ब्लड शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है। ज्यादातर मामलों में यह बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाती है, लेकिन आगे चलकर इसे टाइप 2 डायबिटीज में बदलने का खतरा रहता है।

डायबिटीज कैसे होती है? -डायबिटीज मुख्य रूप से इंसुलिन के असंतुलन से होती है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो अग्न्याशय द्वारा बनाया जाता है और इसका काम ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुँचाना है, ताकि यह ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल हो सके। जब शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उत्पादन या उपयोग नहीं कर पाता, तो ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाती और रक्त में जमा होने लगती है। यह स्थिति तब डायबिटीज का रूप ले लेती है।

बदलती जीवनशैली – बदलते समय के साथ हमारा जीवनशैली भी बदल रही है। जंक फूड और फास्ट फूड का अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और देर तक बैठे रहने की आदत डायबिटीज को बढ़ावा दे रही है। शहरी इलाकों में 40% से ज्यादा लोग हर दिन जंक फूड का सेवन करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है, खासकर ब्लड शुगर पर। इस समस्या को रोकने के लिए जरूरी है कि हम अपने दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधियों को शामिल करें। लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, थोड़ी देर चलें और नियमित व्यायाम को अपनी आदत बनाएं।

अनुवांशिक कारण – डायबिटीज का एक कारण हमारे जीन भी हो सकते हैं। यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो अन्य सदस्यों में इसके होने का खतरा लगभग 50% तक बढ़ जाता है। इसलिए जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, उन्हें नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए और अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाकर इस जोखिम को कम करने का प्रयास करना चाहिए।

तनाव और मानसिक स्वास्थ्य – आधुनिक जीवन में बढ़ता तनाव सीधे तौर पर ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करता है। जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है, जो डायबिटीज को बढ़ावा दे सकता है। एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि तनाव डायबिटीज के खतरे को लगभग 60% तक बढ़ा सकता है। तनाव को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन और तनाव-प्रबंधन की तकनीकों का इस्तेमाल करें। ये मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को बेहतर बनाने में सहायक हैं।

असंतुलित आहार – ज्यादा चीनी, प्रोसेस्ड फूड और कम पोषक तत्वों वाले आहार डायबिटीज को बढ़ावा देते हैं। भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति प्रोसेस्ड फूड का सेवन रोजाना करता है, जिससे शरीर में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि अपने आहार में हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन को शामिल करें और चीनी तथा प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं।

शारीरिक गतिविधियों की कमी – टेक्नोलॉजी की सुविधा के चलते लोग शारीरिक गतिविधियों से दूर हो गए हैं। निष्क्रिय जीवनशैली के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है। एक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि भारतीय औसतन रोजाना सिर्फ 3,000 कदम चलते हैं, जबकि स्वास्थ्य के लिए रोजाना 10,000 कदम की जरूरत होती है। रोजाना 30 मिनट का व्यायाम, चाहे वो वॉक हो, जॉगिंग हो या योग, आपकी सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी है।

डायबिटीज से बचने के उपाय

1 नियमित एक्सरसाइज करें – हर दिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम बेहद जरूरी है। यह आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

2 स्वस्थ आहार ले – संतुलित आहार लें जिसमें प्रोटीन, फाइबर और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ शामिल हों। यह न केवल आपके वजन को नियंत्रित रखता है बल्कि ब्लड शुगर लेवल को भी संतुलित बनाए रखता है।

3 तनाव कम करें – योग, मेडिटेशन और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों का इस्तेमाल करें। इससे न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।

4 चीनी का सेवन कम करें – मीठे पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं। ज्यादा चीनी का सेवन डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है।

5 नियमित चेकअप – अपने ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच करवाएं ताकि किसी भी बदलाव को समय रहते पहचाना जा सके।

हम सब मिलकर इस बढ़ती समस्या का सामना कर सकते हैं। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ, अपने परिवार और दोस्तों को भी प्रेरित करें ताकि हम मिलकर भारत को डायबिटीज-मुक्त बना सकें। याद रखें, एक स्वस्थ जीवन जीना न केवल हमारे लिए बल्कि हमारे परिवार और समाज के लिए भी फायदेमंद है। स्वस्थ रहें, जागरूक रहें, और अपनी सेहत का ख्याल रखें।

डायबिटीज मधुमेह एक पुरानी बीमारी है जो या तो तब होती है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या जब शरीर प्रभावी रूप से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर सकता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। मधुमेह मेलेटस बीमारियों के एक समूह को संदर्भित करता है जो प्रभावित करता है कि आपका शरीर रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का उपयोग कैसे करता है।

ग्लूकोज आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो आपकी मांसपेशियों और ऊतकों को बनाता है। यह आपके मस्तिष्क के ईंधन का मुख्य स्रोत भी है। डायबिटीज बहुत ही घातक बीमारी होती है इसमें शरीर के हर हिस्से को धीरे धीरे बर्बाद करने की क्षमता होती है। डायबिटीज की वजह से शरीर में तरह-तरह की बीमारियां पैदा हो जाती है जिसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है।

डायबिटीज (शुगर) मधुमेह की अचूक दवा – हम अपने जीवन शैली में थोड़ा सा बदलाव लाकर बड़ी से बड़ी बीमारियों को होने से रोक सकते हैं कहा जाता है बीमारी का इलाज करने से बेहतर है की बीमारी को होने से ही रोक दिया जाए। आजकल के दौर में डायबिटीज नामक बीमारी सबसे तेजी से बढ़ रही है यह बीमारी ना सिर्फ बड़ों को बल्कि बच्चों और युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है यह बीमारी आपको ना हो इसलिए आपको मधुमेह की अचूक दवा और खान-पान के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जिसका पालन करके आप मधुमेह या शुगर जैसी बीमार से राहत पा सकते हैं।

मधुमेह की अचूक दवा –

नीम – नीम का रस (निबौता) बहुत मुश्किल से मिलता है अगर यह (निबौता) आपको मिल गया तो शुगर का इलाज के लिए रामबाण साबित होता है। नीम का रस (निबौता) मधुमेह की अचूक दवा है। यह नीम के बहुत पुराने पेड़ से अपने आप निकलता है । डायबिटीज के रोगियों के लिए इसका सेवन रोजाना सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में दो चम्मच नीम का रस (निबौता) मिलाकर पीना चाहिए। नीम का रस (निबौता) से शुगर की बीमारी ठीक हो सकती है।

क्या है इंसुलिन – इंसुलिन एक हार्मोन है जो अग्न्याशय (Pancreas) की बीटा कोशिकाओं द्वारा बनाया जाता है। खाना खाने और पचने के बाद वह भोजन सुगर में परिवर्तित हो जाता है, जिसका उपयोग हमारे शरीर के द्वारा ऊर्जा के रूप में किया जाता है, इंसुलिन एक चाबी है जो हमारी सेल की दीवार के दरवाजे को खोल देता है ताकि सुगर आगे जा सके एक बार जब इंसुलिन सेल की दीवार को खोल देता है, तो सुगर ऊर्जा बनाने के लिए कोशिकाओं में जा सकती है,

इंसुलिन रेजिस्टेंस या प्रतिरोध

इंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब आपकी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया करना बंद कर देती हैं जिसके परिणामस्वरूप सेल रिसेप्टर्स (ताले) जाम हो जाते हैं / पर्याप्त इंसुलिन (चाबियाँ) नहीं होती हैं, जिससे ग्लूकोज बंद हो जाता है और रक्त धाराओं में तैरने लगता है। यह हाई ब्लड सुगर का कारण बनता है, टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग में इस समस्या का काफी योगदान है.

तो, जब इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है तो आपकी muscle, fat और लीवर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देती हैं और ऊर्जा के लिए आपके रक्त से ग्लूकोज का उपयोग नहीं कर पाती हैं। इसकी भरपाई के लिए, आपका लीवर अधिक इंसुलिन बनाता है। समय के साथ, आपके ब्लड सुगर का स्तर बढ़ जाता है और इंसुलिन का अधिक उत्पादन होने लगता है.

कारण – आहार और वजन दो महत्वपूर्ण कारक हैं। लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आईआर से जुड़े कई अन्य कारक भी हैं।

डायबिटीज की फैमिली हिस्ट्री – अत्यधिक प्यास या भूख लगना, भोजन के बाद भी भूख महसूस होना, वजन बढ़ना, हाथों या पैरों में झुनझुनी महसूस होना, सामान्य से अधिक थकान महसूस होना, बार-बार संक्रमण होना, बलड रिपोर्ट में हाई सुगर, धीमा मेटाबोलिज्म

आप कैसे पता लगाएंगे कि आपको ये समस्या है?

कोई भी टेस्ट आपको नहीं बताएगा, लेकिन हाई ब्लड सुगर लेवल, हाई triglycerides, हाई एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, यह निर्धारित कर सकते हैं कि आपको ये समस्या है

आप फास्टिंग इंसुलिन, फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज, HBA1c और लिपिड प्रोफाइल का परीक्षण कर सकते हैं.

इस समस्या का विकास धीमे धीमें होता है जो कई वर्षों में विकसित होती है और अच्छी डाइट और व्यायाम से प्रीडायबिटीज या टाइप 2 मधुमेह का निदान किया जा सकता है।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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