Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुआ। महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी को भारी उम्मीदें थीं, लेकिन नतीजे इसके बिल्कुल उलट रहे। आरजेडी, जो हमेशा से मुस्लिम और यादव—यानी MY—वोट बैंक पर राजनीतिक रूप से निर्भर रही है, इस बार अपने मजबूत गढ़ को भी संजो नहीं पाई। पार्टी महज 27 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जो उसके लिए बड़ा राजनीतिक झटका है। सवाल यह है कि आखिर क्या वजह रही कि आरजेडी का पारंपरिक वोट बैंक उससे दूर हो गया?
1. मुस्लिम वोटों का बिखराव
इस चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा आरजेडी से अलग होता दिखाई दिया। कई मुस्लिम बहुल सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अप्रत्याशित रूप से अपना प्रभाव बढ़ाया। AIMIM ने न केवल वोट प्रतिशत बढ़ाया बल्कि सीधा आरजेडी के वोट बैंक में सेंध लगा दी, जिससे कई सीटों पर महागठबंधन पीछे रह गया।
2. मुस्लिमों का JDU की ओर झुकाव
जहां AIMIM ने नुकसान पहुंचाया, वहीं कई मुस्लिम मतदाता जेडीयू की ओर भी झुके। उन सीटों पर, जहां जेडीयू और आरजेडी के मुस्लिम उम्मीदवार आमने-सामने थे, जेडीयू को स्पष्ट बढ़त मिली। इससे यह संकेत मिला कि मुस्लिम समुदाय अब आरजेडी को अकेले अपना राजनीतिक प्रतिनिधि नहीं मान रहा।
3. यादव वोटों में नाराजगी
आरजेडी का सबसे बड़ा आधार यादव समुदाय भी इस बार पूरी तरह साथ नहीं दिखा। जिन सीटों पर यादव निर्णायक भूमिका निभाते थे, वहाँ वोटों का बिखराव साफ दिखाई दिया। कई यादव मतदाता या तो एनडीए की ओर गए या नए विकल्पों की तलाश में जनसुराज जैसी नई पार्टियों के ख़ाते में वोट चले गए।
4. जनसुराज और छोटे दलों की काट
प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने भले ही बड़ी जीत न हासिल की हो, लेकिन उसने कई सीटों पर विपक्षी वोट काटकर आरजेडी को नुकसान पहुंचाया। छोटे दलों के आने से वोटों का बिखराव हुआ और इसका सीधा फायदा एनडीए को मिला।
5. नीतीश सरकार की योजनाओं का असर
एनडीए सरकार की कई योजनाओं का लाभ जातियों से ऊपर उठकर आम लोगों तक पहुंचा। यहीं आरजेडी की जातीय राजनीति कमजोर पड़ गई। कई यादव परिवारों ने भी पहली बार खुले तौर पर एनडीए का समर्थन किया। इससे MY समीकरण पूरी तरह असंतुलित हो गया।





