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किसानों के पंजाब बंद से कई मार्गों पर यातायात प्रभावित, लगा जाम

चंडीगढ़। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के पंजाब बंद के आह्वान के मद्देनजर राज्य में कई स्थानों पर प्रदर्शनकारी किसानों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं, जिससे यातायात बाधित हो गया। केंद्र द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों की मांगें नहीं माने जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पिछले सप्ताह बंद का आह्वान किया था।

इसके तहत सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक बंद रहेगा। धारेरी जट्टन टोल प्लाजा में किसानों के धरने से पटियालाचंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। अमृतसर के गोल्डन गेट पर किसान एकत्र होने लगे, जबकि बठिंडा के रामपुरा फूल में उन्होंने सड़कें अवरुद्ध कर दीं।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने रविवार को कहा, ‘‘सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक बंद रहेगा। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं का संचालन जारी रहेगा। विमान में यात्रा के लिए हवाई अड्डे जा रहे लोग, नौकरी के लिए ‘इंटरव्यू’ देने जाने वाले या फिर शादी में शामिल होने जा रहे लोगों को बंद के आह्वान के बीच छूट रहेगी।’’

इस बीच, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (70) का आमरण अनशन सोमवार को 35वें दिन भी जारी रहा। डल्लेवाल ने अब तक चिकित्सा उपचार लेने से इनकार कर दिया है। फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर सैकड़ों किसान पंजाब-हरियाणा सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। डल्लेवाल ने पहले कहा था कि जब तक सरकार किसानों की मांगें नहीं मान लेती, वह अपना अनशन नहीं तोड़ेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार को 31 दिसंबर तक डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने के लिए मनाने का समय दिया है, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर राज्य को केंद्र सरकार की सहायता लेने की स्वतंत्रता भी है। सुरक्षाबलों द्वारा दिल्ली में प्रवेश से रोके जाने के बाद से किसान संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू तथा खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

छह से 14 दिसंबर के बीच 101 किसानों के एक जत्थे ने तीन बार दिल्ली की तरफ कूच करने का प्रयास किया था, लेकिन हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। एमएसपी के अलावा, किसान कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की भी मांग कर रहे हैं।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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