[the_ad id="4133"]
Home » इंडिया » उत्तर प्रदेश » प्रशासनिक ढांचे में किया गया नवीनीकरण

प्रशासनिक ढांचे में किया गया नवीनीकरण

उत्तर प्रदेश के नगरों को वैश्विक बनाने की मुहिम हुई तेज

प्रशासनिक सुविधा हेतु तीन श्रेणियां में बांटे गए नगर निगम और नगर पालिकाएं

बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण सेवाएं होगी उपलब्ध: मंत्री  ए.के. शर्मा

उत्तर प्रदेश की कल हुई कैबिनेट बैठक में नगरीय निकायों को जनसंख्या के आधार पर नई श्रेणियां में वर्गीकृत करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री  ए. के.शर्मा ने बताया कि इस निर्णय का उद्देश्य नगरीय क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जनसुविधा एवं सेवाएं उपलब्ध कराना है।इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आएगी और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।

नगर निगमों के वर्गीकरण के अंतर्गत 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों(लखनऊ, कानपुर नगर, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज) को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। 10 लाख से अधिक एवं 20 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम(मेरठ, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, मथुरा– वृंदावन, अयोध्या) द्वितीय श्रेणी में रखे गए हैं तथा 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम (झांसी,सहारनपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर) को तृतीय श्रेणी में शामिल किया गया है। अयोध्या और मथुरा वृंदावन में आने वाली फ्लोटिंग जनसंख्या को देखते हुए इन शहरों को श्रेणी 2 में रखा गया है। नगर पालिका परिषदों के वर्गीकरण के अंतर्गत तीन लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिकाओं को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। जिला मुख्यालय में स्थित नगर पालिकाओं को द्वितीय श्रेणी में रखा गया है शेष सभी नगर पालिकाओं को तृतीय श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।

नगर विकास मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में जी-20 के कार्यक्रमों के तुरंत बाद, (लगभग दो वर्ष पहले) हमने प्रदेश के नगरों को वैश्विक नगर बनाने की बात किया था। इसका तात्पर्य था अपने नगरों को वैश्विक स्वरूप देना और नगरीय जीवन की गुणवत्ता की दृष्टि से प्रतिस्पर्धा में लाना। इस दिशा में अनेक कदम उठाए गए, जिसमें सबसे प्रमुख था दैनिक सफ़ाई के प्रति सजगता और सुंदरीकरण के लिए प्रतिबद्धता। साथ ही अनेक नई योजनाओं की शुरुआत की गई जैसे वैश्विक नगर योजना, सीएम ग्रिड योजना, स्टॉर्म वाटर की योजना, उपवन योजना, नए निकायों की योजना। इतना ही नहीं विभिन्न सामाजिक समूहों के लिए भी विशेष योजनाएं चलाई गईं जैसे वृद्धों के लिए शेल्टर होम, बच्चों की आंगनवाड़ी की मरम्मत, खिलाड़ियों और आवारा कुत्तों के लिए इत्यादि।

बढ़ते हुए शहरीकरण एवं शहरी निकायों की बढ़ती हुई संख्या के दृष्टिगत यह भी आवश्यक हो रहा था कि विभाग के प्रशासनिक ढांचे को आधुनिक और अद्यतन किया जाए, इसलिए कई दशकों के बाद और व्यापक विचार-विमर्श की लगभग एक वर्ष की प्रक्रिया के बाद हमने प्रशासनिक ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन का एक प्रस्ताव बनाया। इस प्रस्ताव को कल मा. मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में संपन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी मिल गई है।

इस प्रस्ताव में सभी 762 नगरीय निकायों की भौगोलिक, सामाजिक और कर्मियों की दृष्टि से नई व्यवस्था बनाई गई है।उदाहरणार्थ:

1. 17 नगर निगमों को जनसंख्या के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा गया है।
2. सामान्य कामकाज के लिए किसी शहरी नागरिक को निगम के मुख्यालय न आना पड़े इस हेतु से इन निगमों में 3 से 8 तक जोन बनाए जाएंगे, जहां जोनल ऑफिस बनाए जाएंगे।
3. उसी प्रकार राज्य की 200 नगरपालिकाओं को भी तीन श्रेणी में विभक्त किया है।
4. जनसंख्या एवं अन्य वर्तमान मानदंडों के आधार पर सभी निकायों को आवश्यक मानव बल दिया जाएगा।
5. नई रचना में नगर विकास विभाग का केंद्रीय मानव बल दोगुने से अधिक हो जाएगा। अभी तक यह संख्या 3085 थी, जो अब बढ़कर 6686 हो जाएगी।
6. कुछ नई सेवाओं को जोड़ा गया है जैसे पर्यावरण और नियोजन।
7. इसके साथ-साथ कर्मियों की सेवा शर्तों एवं भरती के लिए मानदंड को आधुनिक समय की जरूरतों के अनुकूल बनाया गया है।

मंत्री शर्मा ने प्रदेश के  मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री  के दूरदर्शी नेतृत्व और संकल्प के कारण ही नगरीय विकास की दिशा में यह ऐतिहासिक कदम संभव हो सका है।इस वर्गीकरण से नगरीय निकायों के आकार और जनसंख्या के अनुरूप योजनाओं एवं संसाधनों का वितरण और अधिक सुचारू एवं प्रभावी ढंग से हो सकेगा।

ntuser1
Author: ntuser1

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com