लखनऊ, सितम्बर 2025 – सरकारी दफ्तरों और शैक्षिक संस्थानों में अनुकंपा नियुक्ति के नियमों की अनदेखी कर नौकरी पाने वाले कर्मचारियों की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। शासन ने सभी विभागों को निर्देश जारी कर ऐसे मामलों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा है।
नियम के अनुसार, यदि किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाए, तो उसके आश्रित पति/पत्नी या बच्चों को नौकरी दी जा सकती है। लेकिन यदि पति-पत्नी दोनों ही सरकारी सेवा में हों और उनमें से किसी एक का निधन हो जाए, तो बच्चों को यह सुविधा नहीं मिलती। इसके बावजूद, कई विभागों में अधिकारियों की अनदेखी या मिलीभगत से ऐसे लोगों को भी नियुक्तियां दे दी गईं, जो पात्र नहीं थे।
विरोधियों से शिकायतें और खलबली
सूत्रों का कहना है कि गलत तरीके से नौकरी पाने वाले कर्मचारियों में खलबली मची हुई है। विरोधियों ने शासन स्तर पर शिकायतें भेजीं, जिनसे कई मामलों का खुलासा हुआ। पहले मिली शिकायतों पर विभाग केवल दस्तावेज मंगाकर फाइलें निपटा देते थे, लेकिन अब शासन की सख्ती के बाद इन मामलों को दोबारा खंगाला जा रहा है।
नगर निकायों में भी गड़बड़ियों की आशंका
नियम स्पष्ट है कि अनुकंपा नियुक्ति केवल मृतक के पति/पत्नी या बेटे-बेटी को ही दी जा सकती है। इसके बावजूद, कई नगर निकायों और विभागों में मृतक के भाई या अन्य रिश्तेदारों को भी नौकरी दे दी गई। यदि यहां गहन जांच हुई, तो बड़ी संख्या में ऐसे अपात्र कर्मचारी सामने आ सकते हैं।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी नियुक्ति से पहले विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि वे तथ्यों की जांच करें। ऐसे में यदि गलत नियुक्तियां उजागर होती हैं, तो केवल कर्मचारियों पर ही नहीं बल्कि संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई तय है।
हाईकोर्ट के आदेश से खुली नींद
हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कड़ा रुख अपनाया था, जहां एक व्यक्ति ने अनुकंपा नौकरी लेते समय यह तथ्य छिपा लिया कि उसकी मां पहले से ही सरकारी शिक्षिका थी। अदालत की सख्ती के बाद शासन और विभाग हरकत में आ गए। अब सभी विभागों को शासन को रिपोर्ट देनी होगी, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कितने लोगों ने नियमों की अनदेखी कर नौकरी हासिल की।
