[the_ad id="4133"]
Home » अंतरराष्ट्रीय » ब्रह्मपुत्र पर बन रहे सबसे बड़े बांध का भारत के खिलाफ गलत इस्तेमाल कर सकता है चीन

ब्रह्मपुत्र पर बन रहे सबसे बड़े बांध का भारत के खिलाफ गलत इस्तेमाल कर सकता है चीन

नई दिल्ली। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट शुरू करने को तैयार है। अब इस बांध को लेकर जानकारों का कहना है कि इससे भारत को बाढ़ और सूखा सहित कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि, चीन का कहना है कि इससे भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा। नदी को तिब्बत में यारलुंग जांगपो भी कहा जाता है। पिछले महीने, चीन ने तिब्बत में भारतीय सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र नदी पर यारलुंग जांगबो नामक बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। योजना के अनुसार, विशाल बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा, जहां से ब्रह्मपुत्र अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में जाती है।

अब इस विशाल बंध को लेकर एक जानकार ने बताया कि इसका भारत पर बहुत गंभीर असर होगा। उन्होंने कहा, साल 2020 में जब इस बांध का विचार आया, तब मैंने एक आर्टिकल लिखा था, लेकिन अब बांध को बनने की आधिकारिक मंजूरी मिल गई है, जिसका मतलब है कि निर्माण तेजी से होगा।

उन्होंने पूर्वोत्तर भारत का खासतौर से जिक्र कर कहा, मैं कुछ उदाहरण देता हूं। गर्मियों में जब क्षेत्र में पानी का अत्याधिक बहाव होगा, तब पानी स्टोर करने वाला बांध भी अतिरिक्त पानी छोड़ेगा, जिसका मतलब है कि क्षेत्र में बाढ़ आने की आशंका बढ़ेगी। सर्दी में जब मौसम शुष्क होता है, तब बांध क्षेत्र में बह रही किसी भी नदी का पानी स्टोर कर लेगा, जिसका मतलब है कि क्षेत्र में पानी की कमी होगी। इस तरह से किसी भी तरह से पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारतीय समुदाय के लिए यह बहुत बड़ा नुकसान है। हम जानते हैं कि हिमालयी क्षेत्र भूकंप गतिविधियों को लेकर काफी संवेदनशील है और यह साबित हो चुका है कि मेगा डैम की वजह से भूकंप की गतिविधियां बढ़ती हैं। उन्होंने कहा, तीसरा असर राजनीतिक तनाव पर हो सकता है, क्योंकि चीन बांध का इस्तेमाल कई तरह से कर सकता है। अगर चीन के भारत के साथ अच्छे संबंध हैं, तब इसका अच्छा उपयोग कर सकता है, लेकिन अगर रिश्तों में उतार-चढ़ाव आता है… और अगर किसी मोड़ पर भारत और चीन के रिश्ते बिगड़ते हैं, तब चीन की सरकार किसी और ढंग से डैम का इस्तेमाल कर सकती है।

चीन द्वारा बनाए जा रहे प्रस्तावित बांध पर 3 जनवरी को अपनी पहली प्रतिक्रिया में, भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह वाले निचले इलाकों के हितों को ऊपरी इलाकों में होने वाली गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी जारी रखने वाले हैं और आवश्यक कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा, चीनी पक्ष से आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के हितों को नदी के प्रवाह के ऊपरी क्षेत्र में गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुंचे। भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन के साथ भारतीय अधिकारियों की वार्ता में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी।

Admin Desk
Author: Admin Desk

Share This

Post your reaction on this news

Leave a Comment

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com