जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश पर नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने को लेकर तीखा हमला किया है। पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने हरिवंश पर पार्टी के फैसले के खिलाफ जाने और “जमीर से समझौता” करने का आरोप लगाया। JDU ने पहले ही इस समारोह का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था, लेकिन हरिवंश ने इसके बावजूद इसमें हिस्सा लिया, जिसे पार्टी ने एक गंभीर मुद्दा बताया है।
JDU ने क्यों किया था बहिष्कार?
बिहार के मुख्यमंत्री और JDU प्रमुख नीतीश कुमार ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करते हुए इसे “इतिहास बदलने का प्रयास” करार दिया था। उन्होंने कहा था कि जिनका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं था, वे अब देश के इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तर्क पर JDU समेत 20 से अधिक विपक्षी दलों ने यह कहते हुए बहिष्कार किया कि नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं, बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए था।
हरिवंश पर JDU का गुस्सा
JDU के प्रवक्ता नीरज कुमार ने हरिवंश की आलोचना करते हुए कहा, “जब देश में संसदीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय लिखा जा रहा था, तब आपने रसूखदार पद के लिए अपने जमीर से समझौता कर लिया।” नीरज ने हरिवंश के इस कदम को पार्टी के प्रति अनुग्रहहीन बताया और कहा कि उनका यह फैसला पार्टी के निर्देशों के विपरीत था।
प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जब खुद राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति इस समारोह में मौजूद नहीं थे, तब हरिवंश का शामिल होना उनके कद के विपरीत था। अब यह JDU के शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर करेगा कि वह हरिवंश के इस कदम पर क्या कार्रवाई करता है।
हरिवंश का राजनीतिक सफर
हरिवंश राज्यसभा के उपसभापति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में हैं, जो अगले साल समाप्त होगा। 2018 में उच्च सदन के उपसभापति बनने वाले हरिवंश, तीसरे गैर-कांग्रेसी सांसद हैं जिन्होंने इस पद पर आसीन होने का गौरव प्राप्त किया है। इससे पहले, वह झारखंड और बिहार के प्रमुख हिंदी समाचार पत्र ‘प्रभात खबर’ के संपादक के रूप में कार्य कर चुके हैं, और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के मीडिया सलाहकार भी रह चुके हैं।
JDU के साथ हरिवंश का संबंध तब से है जब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए भेजा था। हालांकि, भाजपा से JDU के रिश्ते टूटने और “महागठबंधन” का हिस्सा बनने के बाद, पार्टी अब हरिवंश के इस कदम से नाराज नजर आ रही है।
आगे क्या?
JDU के शीर्ष नेतृत्व से हरिवंश के खिलाफ कार्रवाई की मांग के बाद यह देखना होगा कि पार्टी क्या कदम उठाती है। हरिवंश का इस समारोह में शामिल होना उनकी राजनीतिक स्थिति को चुनौती दे सकता है, खासकर जब उनकी पार्टी ने स्पष्ट रूप से इस समारोह का बहिष्कार किया था।

Author: Sweta Sharma
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