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संभल दंगे की फाइलें फिर खुलेंगी: 46 साल बाद भस्म शंकर मंदिर के खुलने से गरमाई सियासत

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बंद पड़े भस्म शंकर मंदिर के कपाट खोलने के बाद 46 साल पुराने दंगों की फाइलें दोबारा खोले जाने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में यूपी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल खड़े किए, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया।

1978 का दंगा: 184 की मौत, 169 मुकदमे दर्ज
संभल में 29 मार्च 1978 को भड़के सांप्रदायिक दंगे ने शहर को झकझोर कर रख दिया था। कई दिनों तक हिंसा जारी रही, और दो महीने तक कर्फ्यू लागू रहा। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, 184 लोगों की मौत हुई और 169 मुकदमे दर्ज हुए। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि 46 साल बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिला।

मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय सिंह ने संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया से दंगे से संबंधित सभी रिकॉर्ड मंगवाए हैं। सूत्रों के अनुसार, शिकायतों के आधार पर कई पुराने केस दोबारा खोले जा सकते हैं।

मंदिर में मिला खंडित मूर्तियों का सच
संभल के खग्गू सराय इलाके में स्थित भस्म शंकर मंदिर के परिसर में हाल ही में कुएं की खुदाई के दौरान भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और मां लक्ष्मी की खंडित मूर्तियां मिलीं।

जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा:

“कुएं की खुदाई के दौरान कई मूर्तियां मिली हैं। यह जांच का विषय है कि मूर्तियां कैसे टूटीं और यहां कैसे पहुंचीं। विस्तृत जांच के बाद सच सामने आएगा।”

मंदिर के कपाट क्यों बंद हुए थे?
1978 के दंगों के बाद भस्म शंकर मंदिर पर अतिक्रमण हो गया था, और मंदिर के कुएं को पाट दिया गया था। दंगे के बाद इलाके में भय का माहौल था, जिसके चलते मंदिर के पुजारी और हिंदू परिवारों ने पलायन कर दिया। मंदिर के कपाट बंद हो गए और 46 वर्षों तक नहीं खोले गए।

हाल ही में बिजली चोरी के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई के दौरान जब टीम मौके पर पहुंची तो मंदिर का पता चला। इसके बाद मंदिर के कपाट खोले गए और सफाई अभियान चलाया गया।

प्रशासन की तैयारी: कार्बन डेटिंग और सुरक्षा
प्रशासन ने मंदिर के कुएं और प्राचीन मूर्तियों की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है। इसके जरिए मूर्तियों और मंदिर की प्राचीनता का पता लगाया जाएगा।
डीएम राजेंद्र पेंसिया ने कहा:

“मंदिर की सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात किए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों की मदद से चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है।”

सियासत हुई तेज
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद संभल के दंगे और मंदिर का मुद्दा सियासी तूल पकड़ चुका है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि:

“संभल के हिंदुओं का पलायन और 1978 की भयावह घटना का सच देश के सामने आना चाहिए। कश्मीर के पंडितों का दर्द सबने देखा, अब संभल के हिंदुओं का दर्द सामने लाना जरूरी है।”

Sweta Sharma
Author: Sweta Sharma

I am Sweta Sharma, a dedicated reporter and content writer, specializes in uncovering truths and crafting compelling news, interviews, and features.

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