संभल में गुरुवार को जामा मस्जिद से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक कूप (कुआं) मिला है, जिसे ‘मृत्यु कूप’ कहा जा रहा है। यह कुआं हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में पाया गया है। इसके पास एक मंदिर होने का भी दावा किया जा रहा है, जिसे मृत्युंजय महादेव मंदिर कहा जाता है। फिलहाल इस क्षेत्र में खुदाई का काम जारी है।
कूप और मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर और कूप पौराणिक कथाओं से जुड़े हुए हैं। बताया जा रहा है कि मंदिर की दीवारें अब भी मिट्टी के नीचे से दिखाई देती हैं। लोगों का मानना है कि जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी, मृत्युंजय महादेव मंदिर के अवशेष सामने आ सकते हैं।
संभल का पौराणिक और धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, संभल प्राचीन काल में तीर्थों का केंद्र था। यहां 84 कौसी परिक्रमा मार्ग और 68 तीर्थ स्थल होने का उल्लेख मिलता है। इनमें से 19 कूप का भी विशेष महत्व है। समय के साथ इन स्थानों पर मिट्टी जम गई, जिससे ये ढक गए। अब इन प्राचीन धरोहरों को खोजने और संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना
संभल जिला प्रशासन ने घोषणा की है कि क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बनाने की योजना बनाई जा रही है। हाल ही में चंदौसी में राजा द्वारा निर्मित बावड़ी और पृथ्वीराज चौहान की बावड़ी की खुदाई और साफ-सफाई की गई है। अब ‘मृत्यु कूप’ को साफ किया जा रहा है।
यमदग्नि कुंड की खोज भी जारी
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, संभल में यमदग्नि कुंड नामक एक और महत्वपूर्ण स्थल है, जिसे अब खोजने की तैयारी चल रही है। कहा जाता है कि इस कूप में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
स्थानीयों की भावनाएं और उम्मीदें
स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी पुरानी पीढ़ियों ने यहां मृत्युंजय मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में बताया था। उनका मानना है कि मंदिर और अन्य धरोहरों की खोज से संभल का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और अधिक बढ़ेगा।
फिलहाल, ‘मृत्यु कूप’ और आसपास के क्षेत्रों की खुदाई का काम जारी है, और प्रशासन इन ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित करने की दिशा में सक्रिय है।
Author: Sweta Sharma
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