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महाकुंभ में नागा साधुओं के बाद गोल्डन, कबूतर और रुद्राक्ष बाबाओं की लगी टोली

महाकुंभ नगर। इस बार के महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं के बाद गोल्डन, कबूतर और रुद्राक्ष बाबाओं की टोली लगी है। किसी के सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष की मालाएं सजी हैं तो किसी के शरीर पर 6 करोड़ का सोना, कोई सिर पर घास उगाए हुए है तो कोई सिर पर कबूतर का घोंसला, कुछ ऐसा ही नजारा है महाकुंभ का। महाकुंभ में संगम में डूबकी लगाने के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। वहीं, सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी कई विदेशी संगम में डूबकी लगाने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं।

लेकिन इस महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं यहां पहुंचे भारत के हर कोने से साधु-संत। शरीर पर राख लपेटे भक्ति में डूबे गंगा किनारे कई ऐसे साधु-संत हैं जो सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। संगम तट पर पहुंचे योगी-बाबाओं ने महाकुंभ को अनोखा रूप दे दिया है. कोई संत यहां पर सिर पर रुद्राक्ष की मालाएं सजाएं हुए पहुंचे हैं तो कोई सिर पर कबूतर का घोंसला लगाएं। महाकुंभ में इन बाबाओं ने अलग ही रौनक सजा दी है। जो भी श्रद्धालु संगम में डूबकी लगाने आ रहे हैं वे इन बाबाओं से जरूर मिल रहे हैं।

महाकुंभ में एक ‘कबूतर वाले बाबा’ काफी चर्चे में हैं। इन के सिर पर 9 सालों से कबूतर का डेरा जमा हुआ है। बाबा ने अपने सिर पर एक कबूतर बैठा रखा है, जो हर वक्त बाबा के साथ ही रहता है। बाबा जहां जाते वहां उनका कबूतर भी जाता है। ये बाबा है जूना अखाड़े के महंत राजपुरी जी महाराज, जिन्हें सभी ‘कबूतर वाले बाबा’ भी कहते हैं। ‘कबूतर वाले बाबा’ वर्षों से जीव सेवा का प्रचार करते आ रहे हैं। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से आए कबूतर वाले बाबा का कहना है कि किसी भी इंसान के लिए जीव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। बाबा और उनके कबूतर को देख श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो रहे हैं और तो और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए भी तीर्थयात्रियों की भीड़ उमड़ रही है। महाकुंभ में बाबा हर किसी को जीव सेवा करने का संदेश दे रहे हैं। बाबा का कहना है कि पशु, पक्षियों की सेवा करने से इंसान को अद्भुत आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है। जीव-जंतुओं की सच्ची सेवा ही असली धर्म है।

वहीं, एक ऐसे भी बाबा हैं जिन्होंने अपने सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष माला धरण किए हुए हैं। करीब 6 साल से बाबा ने अपने सिर पर रुद्राक्ष धरण किया हुआ है, जिसका वजन लगभग 45 किलो है। रुद्राक्ष वाले बाबा का यह हठयोग का अनोखा अंदाज महाकुंभ में सबको उनकी ओर आकर्षित कर रहा है। सन्यासी गीतानंद महाराज श्री शंभू पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के नागा संन्यासी हैं। गीतानंद महाराज को ये रुद्राक्ष मालाएं उनके भक्तों ने भेंट की है। रुद्राक्ष धरण करने का महाराज ने संकल्प लिया था। ऐसे में जैसे-जैसे उनके भक्त उन्हें रुद्राक्ष भेंट करते गए उन्हें वे अपने सिर पर धारण करते गए। इस हठयोग तपस्या को रुद्राक्ष बाबा ने साल 2019 में प्रयागराज में हुए अर्धकुंभ से शुरू किया था। महाराज हर दिन 12 घंटे सुबह 5 बजे से पूरे विधि-विधान से अपने सिर पर रुद्राक्ष की माला की मुकुट को पहनते हैं और फिर शाम 5 बजे मंत्रोच्चारण के उपरांत इसे नीचे रख देते हैं।

अद्भुत स्वरूप वाले साधु-संतों में एक ‘गोल्डन बाबा’ भी है, जो अपने अनोखे रूप से सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। केरल के रहने वाले एसके नारायण गिरी जी महाराज गोल्डन बाबा के नाम से प्रचलित हैं. निरंजनी अखाड़े से जुड़े एसके नारायण गिरी जी महाराज एक अनोखे अंदाज में महाकुंभ में शामिल हुए हैं। करीब 4 किलो का सोना पहने महाराज का अलग ही चमक देखने को मिल रहा है। गले में सोने के चेन से लेकर उंगलियों में सोने की अंगूठियां, हाथों में कंगन व घड़ी यहां तक की महाराज के हाथों में छड़ी भी सोने की है। इन सभी की कीमत लगभग 6 करोड़ रुपए बताई जा रही है। बाबा का कहना है कि ये सोने उनकी साधना से जुड़ा हुआ है। हर गहने उनकी आध्यात्मिक शक्ति है।

वहीं, इन बाबाओं का यह अनोखा रूप लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है। महाकुंभ में पहुंचने वाले हर तीर्थयात्री बाबा से मिलने जरूर पहुंच रहे हैं।

Admin Desk
Author: Admin Desk

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